अलेक्सान्द्र सेर्गेयेविच पुश्किन की कविताएं : समय और सच का ऐन्द्रीय सत्यापन -- राजीव रंजन गिरि उन्नीसवीं सदी के जिन रचनाकारों ने देश-काल की सीमाओं को लाँघकर विश्व-साहित्य में अपनी पहचान बनायी थी, उनमें रूसी रचनाकार अलेक्सान्द्र सेर्गेयेविच पुश्किन भी एक थे। पुश्किन का रचनात्मक देश-कालजीवीपन ही उन्हें कालजयी बनाता है; साथ ही, देशकाल का गहरा बोध भी कराता है। पुश्किन के दौर का साहित्यिक माहौल 'उत्तर क्लासीसिज़्म’ और 'रोमांटिसिज़्म के सौन्दर्य-बोध’ से प्रभावित था। हालाँकि रूसी क्लासीसिज़्म में स्थानीय विशिष्टता मौजूद थी फिर भी फ्रांसीसी क्लासीसिज़्म के दर्शन और सौन्दर्य-बोध का भी गहरा प्रभाव था। रूसी साहित्य में 'यूरोपीय सौन्दर्यशास्त्र’ के प्रभाव से नयी विधाओं व विषय-वस्तु के साथ नया प्रयोग करने की ज़मीन तत्कालीन क्लासीसिज़्म ने तैयार की। फलस्वरूप रूसी कविता का ऐतिहासिक विकास एवं व्यापक प्रसार सम्भव हुआ। रूसी काव्य के विकास के एक दौर के बाद क्लासीसिज़्म की सीमाएँ स्पष्ट होने लगीं। तत्कालीन रचनाकारों ने 'क्लासीसिज़्म’ को रचनात्मकता में बाधा मानकर इसकी सीमाओं में बँधे रहन...